राम के गुलाम होखऽ रहबऽ आजाद । जिनगी में रही नाहीं कवनो विषाद ।।
करेके बा अपना से, कर खूब सोच के । दुख-सुख सहऽ, मत रोव माथा नोच के ।।
केहू से ना करऽ कबो मूलके विवाद । राम के गुलाम होखऽ रहबऽ आजाद ।।
आपन सब सकति तू कर्म में लगावऽ । बाकी कर्ता खुद के ना कबहुँ बतावऽ ।।
कण-कण बटोरऽ तूऽ, बन के कणाद * । राम के गुलाम होखऽ रहबऽ आजाद ।।
मन के उदास मत भूल के तू करऽ । गुरु हनुमान जी के चरण पर पड़ऽ ।।
उहे दिहें तोहरा के 'भूषण' आशीर्वाद । राम के गुलाम होखऽ रहबऽ आजाद ।।