नरक के पंथ कुसंग तजि,
सतसंग में बइठे के बान लगावऽ ।
काम-कथा तजि राम-कथा कह,
जीभ के अपना पवित्र बनावऽ ।।
रटि-रटि राम के नाम सदा,
हियरा में तू ग्यान के जोत जगावऽ ।
'भूषण' के मन कान करऽ,
अब लोक सुखद परलोक बनावऽ ।।
24 January 2024
नरक के पंथ कुसंग तजि,
सतसंग में बइठे के बान लगावऽ ।
काम-कथा तजि राम-कथा कह,
जीभ के अपना पवित्र बनावऽ ।।
रटि-रटि राम के नाम सदा,
हियरा में तू ग्यान के जोत जगावऽ ।
'भूषण' के मन कान करऽ,
अब लोक सुखद परलोक बनावऽ ।।
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बचपन से साधु-संगत आ भजन-कीर्त्तन से लगाव रहऽल । बाल्यकाल में लोक-कवि भिखारी ठाकुर से रामचरितमानस-पाठ के प्रेरणा मिलल । बाबूजी (स्व० फूलेना सिंह) का कीर्त्तन-भजन के अमिट छाप मन-मस्तिष्क पर पड़ल, भिखारी ठाकुर के रचना बिदेशिया आ रघुनाथ चौबे के रचना सनेहिया खूब पढ़लीं । रामचरितमानस से बचपन से लगाव रहल। एह सब के प्रभाव से भक्ति-काव्य लिखे के प्रेरणा मिलल । बाबूजी (स्व० फूलेना सिंह, धर्मपत्नी स्व० सरोज देवी आ भईया डॉ० चन्द्रशेखर सिंह) के निधन हृदय पर गहिर चोट देलस । ओह लोग का वियोग में कइगो शोक गीत लिखाइल । ऐने आके सत्येन्द्र नाथ सिंह दूरदर्शी, जौहर शफियाबादी आ संत कुमोर सिंह का संगत से कोरोना काल में रचना करके बहुत प्रेरणा मिलल । देखते-देखते कइगो काव्य पुस्तकन के रचना हो गइल। सब के नाम कवि-परिचय में अंतिम पृष्ठ पर देहल बा ।D