एक बेर देखा दऽ आपन मोहनी मुरतिया । रघुनंदन हो, फेर ना कहब बारम्बार ।। रघुनंदन हो...।।
मनु शतरूपा के एकबेर देखवलऽ । रघुनंदन हो, मिट गइल दुखवा अपार ।। रघुनंदन हो...।।
मइया कोशिलाजी के सोइरी में देखवलऽ । रघुनंदन हो, भइल महलिया उजियार ।। रघुनंदन हो...।।
मइया के अरजिया पर बालक रूप धइलऽ । रघुनंदन हो, दिहलऽ तू रोदन पसार ।। रघुनंदन हो...।।
जवन रूप देखिकर जनक जी लोभइले, रघुनंदन हो, ब्रह्मज्ञान भइल तार-तार ।। टेक...।।
देखि फूलवरिया में सिया सुध भूलली, रघुनंदन हो, केने बाटे गिरिजा-दुआर ।। टेक...।।
साँवर वर मिलिहें वर गिरिजा से पवली । रघुनंदन हो, सखिया गवली मंगल चार ।। रघुनंदन हो...।।
उहे रूप एक बेर 'भूषण' के देखावऽ, । रघुनंदन हो, सदा खातिर होखब हम तोहार ।। रघुनंदन हो...।।