हे हनुमान करीं रक्षा अपना दास के, जड़ से उखाड़ फेर्की वासना का घास के ।
से कहो । जगत से आस नाहीं मनवा में रहो, जवन चाहे मन तवन रउरे रउरे पकड़ लिहीं मनवाँ के रास के ।। हे हनुमान करी...।।
राम का भगतवन के रक्षा रउरा करीले, रिद्धि-सिद्धि दाता रउरा ओकरा के भरीले । पूरा कर दीलें रउरा ओकरा सब आस के ।। हे हनुमान करी...।।
बस कके रखनीं रउरा हियरा में राम के, एक-एक पूरा कइनीं उनका सब काम के। काहे मूलऽतानी रउरा 'भूषण' अइसन दास के ।। हे हनुमान करी...।।