जोरिके जुगल हाथऽ, कहतानी नाई माथऽ, छोरिं जनि कबो मोर साथ मइया शारदा ।
कर दीं कृपा के कोर, शब्द नाहीं पड़े भोर, देइ दिहीं भगति के डोर मइया शारदा ।
उपजे विचार नाया, कइले रहीं अइसन दाया, डाल दिहीं छोहिया के छाया मइया शारदा ।
सुमति के दिहीं दानऽ, धरम के होखे भानऽ, बनल रहो कुल खानदानऽ मइया शारदा ।
बाल-बच्चा रहो अच्छा, नीतिया के चलो पाछा, अपने करत रहीं रक्षा, मझ्या शारदा ।
भारत के ज्ञान दिहीं, दुनिया में मान दिहीं, विश्व में बना दीं परधान मइया शारदा ।
व्यास बाल्मीकि कवि, अइसन उधारी छवि, ज्ञान के उगा दीं नया रवि मइया शारदा ।
'भूषण' के वर दिहीं, रहे खातिर घर दिहीं, मन के मिटा दीं सब डर मझ्या शारदा ।