का लेके आइल बाड़ऽ का लेके जइबऽ । करऽ ना भजन ना तऽ पीछे पछतइबऽ ।।
करऽ ना गुमान अपना बुद्धि बल धन पर, सीताराम जप करऽ काबू राख मन पर । भगति के राह तब सहजे में पड्बऽ ।। का लेके...।।
दुनिया के आस अब धीरे-धीरे छोड़ ऽ, नाम रूप लीला से अपना के जोड़ऽ । होई परसाद सब जवन जवन खइबऽ ।।का लेके...।।
गुरु के वचन अपना हियरा में धरऽ, भजन के नाव चढ़ी भव जल तरऽ । वासना के दाग छुटी प्रभु पद पइबऽ ।। का लेके...।।
'भूषण' भरोस एक राम जी प करऽ, सबकर सहऽ, मत केहू से तू लड़ऽ । जइबऽ अमरपुर फेर नाही अइबड ।। का लेक...।।