सीताराम रटऽ मन घड़ी घड़ी । नातऽ जमराज मारी छड़ी छड़ी ।।
मार-मार दिही तोहरा देहिया के फोड़, अंखिया से ढ़रे लागी झरझर लोर । सहबऽ दुसह दुख पड़ी पड़ी ।। सीताराम...।।
रामजी के भजबऽ त जम्ह डर जइहें, तहरा करीब कबो भुलके ना अइहें । जइबऽ साकेत रथ चढ़ी चढ़ी ।। सीताराम ...।।
राम के भजन करऽ होइबऽ तब पार, 'भूषण' ना रहबऽ तू जग में लाचार । रचऽ तू भजन रोज कड़ी कड़ी ।। सीताराम...।।