हे हनुमान लिहीं हमके बचाई । गिरे नाहीं गोर कही गरहा में जाई ।।
रउरा लेखा नइखे केहू दुनिया में समरथ, हाँकी हमरा जिनगी के अब रउरा रथ । रामजी के ढ़ोवनीं रउरा कान्ह पर उठाई ।। हे हनुमान...।।
बाल ब्रह्मचारी रउरा सेवा व्रत ठननीं, बदला में रामजी से कुछुओ ना मँगनीं । रामजी के देनीं रउरा ऋणियाँ बनाई ।। हे हनुमान...।।
रउरे चरनियाँ के बाटे एक आस, हमके बनाई दिहीं रामजी के दास । तर जाईं दुनिया से राम गुण गाईं ।। हे हनुमान...।।
हे हनुमान अपना आसन से डोलीं, भगिया के ताला रउरा 'भूषण' के खोलीं । हमके बचाई लिहीं अब रउरा आई ।। हे हनुमान...।।