सुनी अवढ़रदानी शिव, हम त अनाथ जीव, होइके दयाल रउरा दया दरसाईं।
कहिके अमर कथा हरनीं सती के व्यथा, उहे कथा भोला बाबा हमके सुनाई ।
भव से उबार दिहीं, बिगड़ल सुधार दिहीं, जनम-जनमवाँ के कलुश मिटाई।
'भूषण' के इहे चाह, भगति के मिलो राह, रघुवर चरण में शरण दिलाई।