हे हनुमान हम करीले निहोरा । हमरा के दिहीं अपना भगति के झोरा ।। हे हनुमान...।।
रउरा त हई प्रभु रिद्धि-सिद्धि दाता । दीन-हीन दुखिया का भाग के विधाता ।। भगतन का विपत्ति के फेकिले एकोरा । हे हनुमान हम करीले निहोरा ।।
राम का चरनियाँ में देइ दिहीं प्रेम । पूजा-पाठ करीले ना जानी कवनो नेम ।। कुछ ना बुझाला हम हई बर भोरा । हे हनुमान हम करीले निहोरा ।।
जनमें से बानी हम दुखिया लाचार । रहे के ना बाटे हमरो घरवा दुआर ।। रउरे से लगवले बानी आसरा के डोरा । हे हनुमान हम करीले निहोरा ।।
बानी लंगरात बाटे टूटल एगो गोर । ढ़र-ढ़र बहताटे अँखिया से लोर ।। भइल बाटे छतिया पर बड़-बड़ फोरा । हे हनुमान हम करीले निहोरा ।।
कहवाँ ले कहीं अपना विपत्ति के बात । कटी कइसे जिनगी के बाटे बड़ रात ।। 'भूषण' के सोझा अब कर दीं अँजोरा । हे हनुमान हम करीले निहोरा ।।