हनुमत गोसाई करीं नइया के पार । देखीं कहीं डूबे नाहीं ठीक बीचे धार ।।
आपन सब बुता अब गइनी हम हार । रउरे पर सौंप देनी जिनगी के भार ।। पूरा बा भरोसा रउरा करब उबार । हनुमत गोसाईं करीं नइया के पार ।।
निरबल के बल रउरा खुद बन जाइले । दीनता दसानन के नाश करवाइले ।। मोह का नगरिया के दीले रउरा जार । हनुमत गोसाई करी नइया के पार ।।
'भूषण' के भारी भीड़ रउरे मिटाई । भगति सुधा के पान दिहीं ना कराई ।। भजन का बाधक के दिहीं रउरा मार । हनुमत गोसाईं करीं नइया के पार ।।