नड्या बाटे बीचे घार, टूटल बाटे पतवार, अपने लगाई ओह पार हनुमान जी ।
साथी नाहीं देलख साथ, छोड़ के गइल हाथ, रखनीं चरनियाँ पर माथ हनुमान जी ।
बहुते खराब दसा, रउरे से लागल आसा, आईके पलटि दिहीं पासा हनुमान जी ।
संत नाहीं भइनी हम, मन में बा इहे गम, नामवाँ जपिले बेसी कम हनुमान जी ।
जपेला जे राम नाम, पूरा ओकर करीं काम, होखे ना दिहीले बदनाम हनुमान जी ।
एकरे भरोसा भारी, संकट मिटाएब भारी, आके रउरा लेहब उबारी हनुमान जी ।
राम में लगा दीं मन, भगति के मिले धन, चाहीले ना हीरा रतन हनुमान जी ।
'भूषण' पर फेरी रुख, करि दिहीं दूर दुख, भरि दिहीं जिनगी में सुख हनुमान जी ।।