सीताराम रटऽ भइया जोर-जोर से । ताली हाथ से बाजा के बोल पोर-पोर से ।।
बिगड़ल बन जाई काम, कृपा करीहें श्रीराम । प्रेम-भाव तू बढ़ाव हियरा के कोर से ।। सीताराम रटऽ भइया जोर-जोर से ।।
जे-जे प्रेम-भाव से गावल, कृपा रामजी के पावल । सुख पूरा भइल ओकर सुनऽ हर ओर से ।। सीताराम रटऽ भइया जोर-जोर से ।
रहली मीरा महारानी, भइली प्रेम में दीवानी । पाँव प्रभुजी के धोवली अँखिया लोर से ।। सीताराम रटऽ भइया जोर-जोर से ।
छोड़ऽ दुनिया के चाह, चलऽ भगति के राह । 'भूषण' दूर मत होइह गुरुवर-गोर से ।। सीताराम रटऽ भइया जोर-जोर से ।