होई प्रसन्न गणनाथ जी, तनी दया दरसाई । रखनी चरनियाँ पर माथजी, आपन हाथ फइलाई ।।
रउआ बिना होला नाहीं पूरा कवनो रचना, एही से तऽ होला राउर, पहिले पूजा अर्चना । कवि विद्वानन के दिले रउरा साथ जी ।। तनी दया।।
व्यास जी के पूरा कइनर्जी रउरा महाभारत, जाला जे शरण रउरा रहेला ना आरत । नया ओकर भाग दिले पाथ जी ।। तनी दया।।
माता राउर पारवती पिताजी महेश, 'भूषण' के हर लिहीं सकल रघुनाथ कृपा करस कलेश । जी ।। तनी दया।।