हरदम चढ़ऽ मन नाम के जहाज पर । पकिया भरोसा राखऽ गुरु महाराज पर ।।
महिमा बा नाम के नामियो से भारी, मानस में तुलसी जी कहले बिचारी। आवेलन राम जी दीन के आवाज पर ।। हरदम चढ़ऽ...11
गुरु हनुमान तोहर समरथ भरपूर, तोहरा से बाड़न नाहि तनियो सा दूर । रिनिया श्रीराम उनका एक-एक काज पर ।। हरदम चढ़ऽ...11
साधु-संत के करेलन सदा रखवारी, रहेला प्रभाव इनकर चारो युग में भारी । नाचेलन ई झुमझुम भजन के साज पर ।। हरदम चढ़ऽ...।।
'भूषण' भजन करऽ सब चिंता छोड़ के, मन के तू राखऽ अपना रामजी से जोड़ के । तन मन अर्पण कर, एक-एक राज पर ।। हरदम चढ़ऽ...11