राम का सरनियाँ में सुखवा के सार । हमरो मनवाँ हो, राम हउवें परम उदार ।।
दुखिया लाचार पर दया दरसावेले । शबरी के जूठ बइर प्रेमवा से पावेले ।। गीध के लाचार देख रोवले अँसुआ ढ़ार । हमरो मनवाँ हो, राम हउवें परम उदार ।।
कोलवा किरात के बनवले संहतिया । सूतिके जमीन पर बितवले सारी रतिया ।। छोड़ि दिहले राजऽ दरबार । हमरो मनवाँ हो, राम हउवें परम उदार ।।
केवट से माँग के बढ़वले उनकर मान । बिन माँगे देई देले भगति के दान ।। धरम के रक्षा खातिर लेलन अवतार । हमरो मनवाँ हो, राम हउर्वे परम उदार ।।
रावण के दल दली जीत लेले लंका । धरती पर बजाई देले धरम के डंका ।। उहे उतारि दीहें 'भूषण' तोहर भार । हमरो मनवाँ हो, राम हउर्वे परम उदार ।।