मानऽ मानऽ मानऽ मन हमरो कहनवाँ । हाली-हाली भर लऽ तू नाम के खजनवाँ ।।
रोज-रोज राम जी से नेहिया बढ़ावऽ । वासना का रस के तू तप से सुखावऽ ।। रोज-रोज नया-नया रचऽ तू भजनवाँ । मानऽ मानऽ मानऽ मन हमरो कहनवाँ ।।
जे कुछ मिलल बाटे एको नाहीं रही । एकाएकी छुटी सब कहऽतानी सही ।। घह-धह जर जाई सोना अइसन तनवाँ । मानऽ मानऽ मानऽ मन हमरो कहनवाँ ।।
जनम जनम रति राम का चरन में । माँगऽ हरदम रहीं उनके सरन में ।। जिभिया से हरदम नाम के रटनवाँ । मानऽ मानऽ मानऽ मन हमरो कहनवाँ ।।
'भूषण' भगवान् से, इहे राख आसा । दुनिया के छूट जाव नकल तमासा ।। खुल जाव माया के सब बन्धनवाँ । मानऽ मानऽ मानऽ मन हमरारे कहनवाँ ।।