कइसे होई नइया पार हो मन कहऽ हनुमान से ।
देहिया में बल नइखे बगली में दाम, करेके तू ठान लेलऽ बड़-बड़ काम । गोर थर-थर काँपे, चढ़ेलऽ पहाड़ हो मन कहऽ हनुमान से ।। टेक।।
नीचे नाहीं धरती बा, ऊपर आसमान, मनवा में पाल लेलऽ बड़ अरमान । मुरिया प लाद लेलऽ नौ मन के भाड़ हो मन कहऽ हनुमान से ।। टेक।।
सुनऽ-सुनऽ भाई तुहूँ काहे घबरालऽ, धीरज के बाँह गहऽ काहे अगुतालऽ । वीर हनुमान तोहार करीहे उबार हो, मन कहऽ हनुमान से ।। टेक।।
'भूषण' हनुमान हरिहें तोहरा सब पीड़ के, विनती सुनावऽ उनका चरण में गिरके । उनके पर छोड़ द तू सब आपन भार हो, मन कहऽ हनुमान से ।। टेक।।